UPPCS 2022 PYQ Mains Hindi Paper
प्रश्न 1. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर दीजीए।
जीवन को उसकी समग्रता में सोचना और जीवन को एक खास इरादे से सोचना दो अलग तरह की तैयारियाँ हैं और इस माने में साहित्य जब भी राजनीति की तरह भाषा का एक तरफा या इकहरा इस्तेमाल करता है, तो वह अपनी मूल शक्ति को सीमित या कुंठित करता है। राजनीति के मुहावरे में बोलते समय हम एक ऐसे वर्ग की भाषा बोल रहे होते है जिसके लिए भाषा प्रमुख चीज नहीं है, वह भाषा का दूसरे या तीसरे दर्जे का इस्तेमाल हैः वह एक खास मकसद तक पहुँचने का साधन मात्र है। उसे भाषा की सामर्थ्य, प्रामिणिकता या सचाई में उस तरह दिलचस्पी नहीं रहती जिस तरह साहित्य की। उसकी भाषा प्रचार प्रमुख रेटारिकल और नकली व्यक्तित्व की भाषा हो सकती है, क्योंकि राजनीति के लिए भाषा एक व्यवहारिक और कामचलाऊ चीजॉ है जबकि साहित्यकार के लिए भाषा उस जिंदगी का एक जीता जागता हिस्सा है जिसे वह राजनीतिक, व्यवसायिक , व्यावहारिक या स्वार्थों की हिंसी, तोड़-फोड़ और प्रदूषण से बचा करके उसकी मूल गरिमा और शक्ति में स्थापित या नुर्स्थापित करना चाहता है। साहित्य का काम अपनी पहचान को राजनीति की भाषा में खो देना नहीं, बल्कि उस भाषा के छद्म से अपने को लगभग बेगाना करके अकेला कर लेना है, एक सन्त की तरह अकेला, कि राजनीति के लिए जरूरी हो जाए कि वह बारबार अपनी प्रामाणिकता और सच्चाई के लिए साहित्य से भाषा माँगे न कि साहित्य ही राजनीति की भाषा बनकर अपनी पहचना खो दे।
(क) प्रस्तुत गद्य का भावार्थ अपने शब्दों में लिखिए।
(ख) राजनिति की भाषा का लक्ष्य क्या होता है?
(ग) उपर्युक्त गद्यांश की रेखांकित पंक्तियों की व्य़ाख्या कीजिए।
प्रश्न 2. भारत में अपना समाजशास्त्र रचने की आवश्यकता है। पश्चिम का समाजशास्त्र जिस मानव केन्द्रित सामाजिकता और उसकी आधारभूत समता की बात करता है, वह किंचित अपर्याप्त है। मनुष्य तक ही जीवन सीमा नहीं है। मनुष्य जब अपने आसपास के चर अचर जीवन के साथ ओतप्रोत है, आसपास की क्षति से जब उसकी भी क्षति होती है, तो उसका दायित्व तो बढ़ जाता है। यह सही है कि जिस प्रकार की तर्क प्रज्ञा मनुष्य को प्राप्त है, वह अन्य प्राणी को नहीं, पर उस अन्य को भी कुछ ऐसा प्राप्त है, जो मनुष्य को नहीं और उस अप्राप्त के प्रति मनुष्य को श्रद्धा होनी चाहिए। हमारा संगठन उनकी सत्ता को नकारकर या हेय मानकर होगा। जैसा पिछले तीन सौ वर्षों से हुआ है, तो यह जितनी उनकी क्षति करेगा उससे अधिक मनुष्य की क्षति होगी। यह बात तो अब प्रमाणित भी हो चुकी है। इसलिए समाजशासत्र की मानव केन्द्रित दृष्टि का ध्यान सर्वभूतहित पर जाना चाहिए। दूसरी बात समता की है। सम शब्द का व्युत्पत्ति से प्राप्त अर्थ जो सत मात्र हो, अर्थात् शु्द्ध सत्ता होष इसलिए समता को अर्थात् शुद्ध समता को सर्वत्र देखना। समता इस प्रकार एकत्व है, एकत्व वृद्धि है, बराबरी नहीं, क्योंकि पृथकत्व के बिना बराबरी की बात ही नहीं सोची जा सकती है। दो वस्तुएंँ अलग होंगी, तभी वे बराबार दिखेंगी, जब एक हैं तो फिर बराबरी या गैर बराबरी का सवाल ही नहीं उठता।
उपर्युक्त गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए
(क) प्रस्तुत गद्यांश के लिए उचित शीर्षक दीजिए।
(ख) नए भारतीय समाजशास्त्र की, रचना की आवश्यकता क्यों है
(ग) उपर्युक्त गद्यांश के संक्षेपण कीजिए।
प्रश्न 3. (क) अधिसूचना किसे कहते हैं हिन्दी प्रदेश के न्यायालयों में हिन्दी के प्रयोग को अनिवार्य करने की एक अधिसूचना विधि मंत्रालय द्वारा दी गई है। उसका उपयुक्त प्रारूप तैयार कीजिए।
(ख) परिपत्र किसे कहते है जिला अधिकारी की ओर से जिले के सभी ग्राम प्रधनाों के लिए सफाई व्यवस्था पर ध्यान रखने के लिए परिपत्र तैयार कीजिए।
प्रश्न 4. निम्नलिखित शब्दों के विलोम लिखिए।
विपन्न, महत्ता, स्तुत्य, सद्भाव, विरल, शीर्ष समाष्टि, अपराधी, अवशेष, एकत्र
प्रश्न 5. (क) निम्नलिखित शब्दों में प्रयुक्त उपसर्गों का निर्देश कीजिए।
उद्ग्रीव, दुर्दशा, निमीलित, निश्चल, अत्यंत
(ख) निम्नलिखित शब्दों में प्रयुक्त प्रत्ययों को अलग कीजिए।
देव, पूज्, कौन्तेय, पौराणिक, तन्द्रालु
प्रश्न 6. निम्नलिखित वाक्यांशों या पदबंधों के लिए एक - एक शब्द लिखिए।
- जो जड़ा या मिला न हो।
- अपना पेट भरने वाला।
- जिस पर विश्वास किया गया है।
- जिसका रोकना कठिन है।
- तैरकर पार करने की इच्छा वाला।
- तुम्हारे हर काम गलत होते हैं।
- देंगे में कई निरपराधी व्यक्ति मारे गए।
- तुम कौन गाँव में रहते हो?
- यह बात उदाहरण से स्पष्ट किया जा सकता है।
- प्रेमचन्द अच्छी कहानी लिखे हैं।
(ख) निम्नलिखित शब्दों की वर्तनी का संशोधन कीजिए।
अनुसुइया, वहिर्गमन, मध्यान्ह, प्रज्जवल, कृशांगिनी
प्रश्न 8. निम्नलिखित मुहावरों/ लोकोक्तियों के अर्थ लिखिए और उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए।
- चूहे के चाम से नगाड़ी नहीं बनता।
- खूँटे के बल बछड़ा कूदे।
- दालभात में मूरसचंद।
- पराए धन पर लक्ष्मीनारायण।
- एक ही लकड़ी से सबको हाँकना।
- अधजल गगरी छलकत जाए।
- लहू के आँसू पीना।
- मीठी छुरी चलाना।
0 टिप्पणियाँ