UPPCS 2019 PYQ Mains Hindi Paper

प्रश्न 1. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर दीजिएः

मैं साहित्य को मनुष्य की दृष्टि से देखने का पक्षपाती हूँ। जो वाग्जाल मनुष्य को दुर्गति, हीनता और परमुखापेक्षिता से बचा न सके, जो उसकी आत्मा को तेजोहीन न बना सके, जो उसके हृदय को परदुःखकातर और संवेदनशील न  बना सके, उसे साहित्य कहने में मुझे संकोच होता है। मैं अनुभव करता हूँ कि हम लोग एक कठिन समय के भीतर से गुजर रहे हैं। आज नाना भाँति के संकीर्ण स्वार्थों ने मनुष्य को कुछ ऐसा लग रहा है कि किसी विकट दुर्भाग्य के इंगित पर दलगत स्वार्थ प्रेम ने मनुष्यता को दबोच लिया है। दुनिया छोटे छोटे संकीर्ण स्वार्थों के आधार पर अनेक दलों में विभक्ति हो गई है। अपने दल के बाहर का आदमी सन्देह की दृष्टि से देखा जाता है. उसके रोने गाने तक पर असदुद्देश्य का आरोप किया जाता है। उसके तप और सत्यनिष्ठा का मजाक उड़ाया जाता है।

(क) प्रस्तुत गद्याँस का भावार्थ अपने शब्दों में लिखिए।

(ख) साहित्य के लक्ष्य के विषय में उपर्युक्त गद्यांश के आधार पर विचार कीजिए।

(ग) प्रस्तुत गद्यांश की रेखांकित पंक्तियों की व्याख्या कीजिए।

प्रश्न 2. निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर निर्देशानुसार उत्तर लिखिए।

परिवर्तन से हम बच नहीं सकते। परिवर्तन से बचना अगति और दुर्गति को आमन्त्रित करना है। यद्यपि स्थिरता में किसी अंश में सुरक्षा है, तथापि बिना जोखिम लिए आगे नहीं बढ़ा जाता है। नियमों की स्थिरता जो विज्ञान में है और स्फूर्तिमय जीवन की गतिशीलता जो साहित्य में है, दोनो के बीच का हमें संतुलित मार्ग खोजना है। जीवन के संतुलनो में नए और पुराने का संतुलन भी विशेष महत्व रखता है। संसार की गतिशीलता के साथ हमको भी गतिशील होना पड़ेगा, किन्तु आँखें मूँदकर अंधकार की खाई में कूदना शूरता नहीं है। हमको आगे कदम बढाना हौ किन्तु आँखें खोलकर। नवीन के लिए हम अपने मनमंदिर का द्वार सदा खुला रखें, पूर्वाग्रहों से काम न लें। उसके पक्ष और विपक्ष की युक्तियों को न्याय की तुला पर तौलें। एक सीमा के भीत नए प्रयोगों को भी अपने जीवन में की युक्तियों को न्याय की तुला पर तौले। एक सीमा के भीतर नए प्रयोगों को भी अपने जीवन में स्थान दें, किन्तु केवल नवीनता की तुला पर तौलें। एक सीमा के भीतर नए प्रयोगों को भी अपने जीवन में स्थान दे, किन्तु केवल नवीनता के प्रमाण पत्र मात्र से संतुष्ट न हो जाएं। जिस तर्कबुद्धि को हम प्राचीन प्रथाओं के उन्मूलन में लगाते हैं उसी निर्गम तर्क को नवीन के परीक्षण में भी लगावें किन्तु नवीन को भूत की भाँति भय का कारण न बनावे।

(क) प्रस्तुत गद्यांश को उचित शीर्षक दीजिए।

(ख) प्राचीन और नवीन में सन्तुलन क्यों आवश्यक हैं विचार कीजिए।

(ग) प्रस्तुत गद्यांश का सक्षेपण कीजिए।

प्रश्न 3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिएः

(क) अधिसूचन को परिभाषित करते हुए मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से शिक्षकों की सेवानिवृत्ति व्यय बढाने के संदर्भ में एक अधिसूचना का प्रारूप तैयार कीजिए।

(ख) स्वास्थ्य विभाग, उत्तर प्रदेश, लखनऊ की ओर से सचिव, स्वास्थ्य मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली को भेजने के लिए एक अर्ध सरकारी पत्र का प्रारूप तैयार कीजिए जिसमें उत्तर प्रदेश में कुपोषण से जूझते बच्चों के इलाज के लिए भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय से पूर्व माँगी गई सहायता को यथाशीघ्र स्वीकृत करने के लिए आग्रह किया गया हो।

प्रश्न 4. निम्नलिखित उपसर्गो/ प्रत्ययों में एक एक शब्द की रचना कीजिए

अधि, परि, भऱ, अठ, नि, खुश, इक, आइन, आई, अक्कड़

प्रश्न 5. निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिएः

आवरण, कृतज्ञ, अज्ञ, नैसर्गिक, अधम, आहूत, सकर्मक, मान, घात, वैतनिक

प्रश्न 6. (क) निम्नलिखित वाक्यों को शुद्द कीजिए

  1. यह आँखों से देखी घटना है।
  2. सौ रूपया सधन्यवाद प्राप्त हुआ।
  3. गीता ने सीता से पूछा कि सीता कहाँ चली गई  थी?
  4. दक्षिण का अधिकांश भाग पठार है।
  5. मैने बोला कि कल मत  आना।
प्रश्न 7. निम्नलिखित वाक्याँशों के लिए एक एक शब्द लिखिए

  1. आकाश को चूमने वाला।
  2. सन्ध्या और रात के बीच का समय।
  3. हमेशा रहने वाला।
  4. सौ में सौ।
  5. जौ बात वर्णन से परे हो।
प्रश्न 8. निम्नलिखित मुहावरों/ लोकोक्तियों के अर्थ स्पष्ट कीजिए और अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए

  1. नक्कारखाने में तूती की आवाज
  2. मक्खी मारना
  3. तिल का ताड़ा बनाना
  4. सिर आँखों पर बैठाना
  5. हवा का रंग देखना
  6. ढाक के तीन पात
  7. गुरू कीजे जान के, पानी पीजे झान के
  8. फूहड़ चालें, नौ घऱ हालें
  9. अपनी करना पार उतरनी